ऑथर: निर्वाणी भावसार अनुवादक: मनीष सोनी श्रृंगार स्व अभिव्यक्ति और आज़ादी का साधन हो सकते है | कपडा उद्योग की तरह कॉस्मेटिक उद्योग की चकाचौंध […]
Continue readingलेखक: Nirvani Bhawsar
निर्वाणी , नेशनल अकादमी ऑफ़ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च, हैदराबाद की दूसरे वर्ष की छात्रा है | वे विधि और मानवाधिकार एवं आपराधिक कानून के अंतरसम्बन्धो में रूचि रखती है |